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FSSAI ने मसालों में 10 गुना ज्यादा कीटनाशक को मंजूरी वाली खबरों को बताया फर्जी, यह है पूरा मामला

FSSAI ने मसालों में 10 गुना ज्यादा कीटनाशक को मंजूरी वाली खबरों को बताया फर्जी, यह है पूरा मामला

व्‍यापार | व्‍यापार | 5/6/2024, 5:22 PM | Ground Zero Official

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने मसालों में 10 गुना ज्यादा पेस्टिसाइड मिलाने की मंजूरी देने की मीडिया रिपोर्ट्स पर सफाई दी है. FSSAI ने इन रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि इस तरह की रिपोर्ट्स पूरी तरह से गलत और भ्रामक हैं. एफएसएसएआई ने कहा कि भारत में फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स दुनिया में सबसे कड़े हैं. 

हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर में भारतीय मसालों पर हुई थी कार्रवाई 

शनिवार को कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि FSSAI ने औषधि और मसालों में 10 गुना ज्यादा पेस्टिसाइड मिलाने की मंजूरी दी हुई है. यही वजह है कि हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर में भारत के टॉप 2 मसाला ब्रांड एवरेस्ट (Everest) और एमडीएच (MDH) के खिलाफ कार्रवाई हुई है. दुनिया के कई देशों में भारतीय मसालों के खिलाफ जांच भी शुरू हुई थी. दोनों देशों में इन कंपनियों के कई मसालों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. साथ ही कस्टमर्स से अपील की गई थी कि अगर वो इन्हें खरीद चुके हैं तो इस्तेमाल न करें. इनमें तय सीमा से ज्यादा पेस्टिसाइड पाया गया था. यदि इसके संपर्क में लंबे समय तक रहा जाए तो कैंसर का खतरा होता है. 

FSSAI ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा कड़े नियम 

FSSAI ने रविवार को अपने बयान में कहा कि ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स बिल्कुल गलत हैं. भारत ने अपने यहां सारी दुनिया के कड़े मैक्सिमम रेसीड्यू लेवल्स (MRL) नियम बनाए हुए हैं. एफएसएसएआई ने कहा कि पेस्टिसाइड के मामले में 0.01 मिलीग्राम प्रति किग्रा का एमआरएल लागू है. यह सीमा मसालों के मामले में 0.1 मिलीग्राम प्रति किग्रा तक बढ़ाई गई थी. यह केवल उन पेस्टिसाइड के लिए लागू है, जो भारत में केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (CIB & RC) द्वारा रजिस्टर्ड नहीं हैं. इसकी सिफारिश वैज्ञानिकों के पैनल द्वारा की गई थी.

विशेषज्ञों ने पहले ही FSSAI के फैसले पर किए थे सवाल

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि भारतीय मसालों का एक्सपोर्ट रिजेक्ट हो सकता है. साथ ही भारत के उपभोक्ता भी ज्यादा पेस्टिसाइड खाने लगेंगे. पेस्टिसाइड एक्शन नेटवर्क ऑफ इंडिया ने कहा था कि FSSAI के इस कदम से लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है. उन्होंने एमआरएल डेटा पर भी सवालिया निशान खड़े किए थे.

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