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एमपीसी बैठक के फैसलों का आज होगा एलान, कम होगी या बढ़ेगी EMI; थोड़ी देर में चल जाएगा पता

एमपीसी बैठक के फैसलों का आज होगा एलान, कम होगी या बढ़ेगी EMI; थोड़ी देर में चल जाएगा पता

व्‍यापार | व्‍यापार | 4/5/2024, 10:15 AM | Ground Zero Official

देश में ब्याज दरें साल भर से ज्यादा समय से उच्च स्तर पर हैं. लोग ब्याज दरें कम होने और अंतत: ईएमआई का प्रेशर कम होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन इंतजार लंबा खिंचता चला जा रहा है. बीच में कई बार उम्मीदें ठोस हुईं, लेकिन अंत में निराशा ही हाथ लगी. आज फिर रिजर्व बैंक ब्याज दरों पर अहम ऐलान करने वाला है. आइए जानते हैं कि आज के ऐलान में आम लोगों को ब्याज पर राहत मिलने वाली है या उनका इंतजार और लंबा होने वाला है...

इस वित्त वर्ष की पहली बैठक

सबसे पहले आपको बता दें कि यह नए वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक है. आरबीआई की एमपीसी की बैठक हर दो महीने पर होती है. वित्त वर्ष 2024-25 की पहली आरबीआई एमपीसी बैठक 3 अप्रैल को शुरू हुई. तीन दिन चलने वाली यह बैठक आज समाप्त हो रही है. बैठक समाप्त होने के बाद आरबीआई के गवर्नर अभी से कुछ देर बाद 10 बजे ब्याज दरों पर एमपीसी के फैसले की जानकारी देंगे.

इतने समय से नहीं हुआ बदलाव

नए वित्त वर्ष की पहली एमपीसी बैठक इस कारण अहम हो जाती है कि इससे पहले पिछले वित्त वर्ष के दौरान रेपो रेट में एक बार भी बदलाव नहीं हुआ. रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दर यानी रेपो रेट में आखिरी बार फरवरी 2023 में बदलाव किया था. उस समय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया था. उसके बाद से रेपो रेट 6.50 फीसदी पर स्थिर है. यानी 14 महीने से ब्याज दरों में बदलाव नहीं हुआ है. इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि आरबीआई की एमपीसी ने लगातार 6 बैठकों से रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है.

इन कारणों से तय होती है दर

दरअसल रेपो रेट पर निर्णय लेते समय मौद्रिक नीति समिति मुख्य रूप से दो चीजों पर गौर करती है. पहली खुदरा महंगाई और दूसरी देश की आर्थिक वृद्धि दर. ब्याज दरों पर आरबीआई के निर्णय पर अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के रुख का भी असर होता है. खुदरा महंगाई दर फरवरी महीने में कम होकर 5.09 फीसदी पर आ गई थी. मार्च महीने के लिए अभी आंकड़े जारी नहीं हुए हैं. खुदरा महंगाई कम भले ही हुई हो, लेकिन अभी भी रिजर्व बैंक के लिए कंफर्टेबल लेवल पर नहीं है. आरबीआई महंगाई को 4 फीसदी से नीचे लाना चाहता है.

जीडीपी ग्रोथ रेट का हाल

दूसरी ओर घरेलू अर्थव्यवस्था शानदार परफॉर्म कर रही है. दिसंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट तमाम अनुमानों से ऊपर 8 फीसदी के पार निकल गई थी. हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उम्मीद जताई कि पूरे वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी की ग्रोथ रेट 8 फीसदी के पार रह सकती है. मतलब अर्थव्यवस्था की रफ्तार ठीक बनी हुई है.

यूएस फेडरल का ताजा रुख

अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के रुख को देखें तो उसने ब्याज दरों में कमी के संकेत तो दिए हैं, लेकिन साथ ही ये भी जोड़ा है कि कटौती फिलहाल नहीं होने वाली है. यूएस फेड इस साल ब्याज दरों में तीन बार कटौती की संभावनाएं देख रहा है. हालांकि ब्याज दरों को कम करने की राह पर बढ़ने से पहले फेडरल रिजर्व यह सुनिश्चित कर लेना चाहता है कि अमेरिका में महंगाई पूरी तरह उसके काबू में आ जाए.

फिर हाथ लग सकती है निराशा

ब्याज दरें ज्यादा रहने से बाजार में तरलता कम होती है, जो अंतत: महंगाई को नियंत्रित करने में मददगार साबित होता है. हालांकि महंगे कर्ज से देश की आर्थिक तरक्की पर भी प्रतिकूल असर होता है, क्योंकि ज्यादा आरओआई के चलते बाजार कम कर्ज उठाता है और इस कारण कम निवेश करता है. इसके बाद भी महंगाई की मौजूदा दर, ग्रोथ रेट और यूएस फेड के संकेत सब इसी बात का इशारा कर रहे हैं कि आज भी रिजर्व बैंक शायद ही ब्याज दरें कम करने की खुशखबरी सुनाए.

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