प्राइवेट प्रॉपर्टी पर हो सकता है किसी समुदाय या संगठन का हक, सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने क्या कहा?
देश | सामान्य | 4/25/2024, 5:38 AM | Ground Zero Official
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि संविधान का उद्देश्य 'सामाजिक बदलाव की भावना' लाना है और यह कहना 'खतरनाक' होगा कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को ‘समुदाय का भौतिक संसाधन' नहीं माना जा सकता और 'सार्वजनिक भलाई' के लिए राज्य प्राधिकारों द्वारा उस पर कब्जा नहीं किया जा सकता. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-सदस्यीय संविधान पीठ ने ये टिप्पणी की. पीठ इस बात पर गौर कर रही है कि क्या निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को 'समुदाय का भौतिक संसाधन' माना जा सकता है.
इससे पहले मुंबई के प्रॉपर्टी ऑनर्स एसोसिएशन (पीओए) सहित विभिन्न पक्षों के वकील ने जोरदार दलील दी कि संविधान के अनुच्छेद 39(बी) और 31सी की संवैधानिक योजनाओं की आड़ में राज्य अधिकारियों द्वारा निजी संपत्तियों पर कब्जा नहीं लिया जा सकता है. पीठ विभिन्न याचिकाओं से उत्पन्न जटिल कानूनी प्रश्न पर विचार कर रही है कि क्या निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत 'समुदाय का भौतिक संसाधन' माना जा सकता है. संविधान का अनुच्छेद 39(बी) राज्य नीति निर्देशक तत्वों (डीपीएसपी) का हिस्सा है.
पीठ ने कहा, 'यह कहना थोड़ा अतिवादी हो सकता है कि 'समुदाय के भौतिक संसाधनों' का अर्थ सिर्फ सार्वजनिक संसाधन हैं और उसकी उत्पत्ति किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति में नहीं है. मैं आपको बताऊंगा कि ऐसा दृष्टिकोण रखना क्यों खतरनाक है.'' पीठ ने कहा, 'खदानों और निजी वनों जैसी साधारण चीजों को लें. उदाहरण के लिए, हमारे लिए यह कहना कि अनुच्छेद 39(बी) के तहत सरकारी नीति निजी वनों पर लागू नहीं होगी... इसलिए इससे दूर रहें. यह बेहद खतरनाक होगा.''
पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे. पीठ ने 1950 के दशक की सामाजिक और अन्य प्रचलित स्थितियों का जिक्र करते हुए कहा, 'संविधान का मकसद सामाजिक बदलाव लाना था और हम यह नहीं कह सकते कि निजी संपत्ति पर अनुच्छेद 39(बी) का कोई उपयोग नहीं है.'
पीठ ने कहा कि अधिकारियों को जर्जर इमारतों को अपने कब्जे में लेने का अधिकार देने वाला महाराष्ट्र कानून वैध है या नहीं, यह पूरी तरह से भिन्न मुद्दा है और इस पर अलग से विचार किया जाएगा. सुनवाई पूरी नहीं हुई और यह बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी.
LATEST
मथुरा में अडींग नहर की पटरी पर मिली युवती की लाश, मिले ऐसे निशान जो बयां कर रहे ...
बांदा: बोलेरो और बाइक में भिड़ंत, दो सगे भाइयों समेत बाइक में सवार तीन की मौत...
वाराणसी में 6 साल की बच्ची से अपहरण के बाद रेप, आरोपी का सुराग ढूंढ रही पुलिस...
अमरोहा में सिपाही ने की खुदकुशी; बागपत में तैनात सिपाही ने स्टेटस में लिखा- मुझे...
Aaj Ka Rashifal 04 May 2024: लंबी यात्रा पर जाने का बनेगा प्लान, मिलेगा परिवार क...
Delhi Murder: तिहाड़ में दो कैदियों के बीच हिंसक झड़प में एक की हत्या, खाने के व...
दिल्ली के स्कूल को फिर बम से उड़ाने की धमकी... पुलिस कमिश्नर को आया मेल...
अफजाल अंसारी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका, चुनाव लड़ना हुआ मुश्किल...